करोगी मोहब्बत तो ये घर भी छोड़ना पड़ेगा
तुम्हारे साथ ये शहर भी छोड़ना होगा
(1)
करोगी मोहब्बत तो ये घर भी छोड़ना पड़ेगा
तुम्हारे साथ ये शहर भी छोड़ना होगा
टूट जायेगा फिर घर वालो से रिश्ता
माँ के हाथों के निवालों से रिश्ता
अंजान शहर मैं ये मुकाम भी मर जायेगा
भूख लगेगी तो प्यार भी मर जायेगा
वुलायेंगे घर बाले तो घर लोट जाओगी
हमें ठुकराकर अपने शहर लोट जाओगी
हम पर आएगा तुझे बहकाने का इलज़ाम
लड़की पर नहीं आता भागने का इलज़ाम
फंस जायेंगे फिर हम ज़माने के चक्कर मैं
जवानी निकल जाएगी थाने के चक्कर मैं
अपने बयांन से फिर तू पलट जाएगी
मेरी ज़िन्दगी जेल मैं कड़ जाएगी
उम्र गुजरे जेल मैं ऐसी नोवत ही क्यों आये
हम चाहते ही नहीं मोहब्बत हो जाये
(२)
करोगी मोहब्बत तो इज़हार भी करना होगा
ज़माने से छुपकर प्यार भी करना होगा
तुझपर पड़ने लगेंगी दुनिया की नजरें
मुझपर रहने लगेंगी दुनिया की नजरे
फिर देखना तुम ये समझोता कर लोगी
हमें छोड़कर इश्क दूसरा कर लोगी
वो तुम्हे मिल जायेगा तुम खूबसूरत हो
ख्वाहिश हो सबकी हसीन सूरत हो
आहिस्ता -2 तेरी उम्र खफा हो जाएगी
तेरी मोहब्बत भी फिर बेबफा हो जाएगी
उसके बात करने का फिर ढंग बदल जायेगा
तेरी जुल्फों का जब रंग बदल जायेगा
याद कर फिर हमें पछताओगी बहुत
सदायें दोगी चीखोगी चिल्लाओगी बहुत
बिताने आओगी जिंदगी का किनारा हमारे साथ
जवानी किसी के साथ बुढ़ापा हमारे साथ
तुम मिलो तुम मिलो बुढ़ापे मैं ऐसी नोबत ही क्यूँ आये
हम चाहते ही नहीं मोहब्बत हो जाये
(३)
करोगी मोहब्बत तो कुछ यूँ मोहब्बत होगी
कभी शक होगा मुझपे कभी शिकायत होगी
जिनसे बास्ता नहीं उनसे अदावत होगी
शहर से नफरत दुनिया से बगावत होगी
हम सह जायेंगे तुम न सह पाओगी
कैसे जमाने के सितम उठाओगी
समझायेंगे घर बाले तो मुझसे खफा हो जाओगी
मैं तन्हा रह जाऊंगा तुम बेबफा हो जाओगी
तुम हो जाओ बेबफा ऐसी नोवत ही क्यों आये
हम चाहते ही नहीं मोहब्बत हो जाये
(४)
हम चाहते ही नहीं मोहब्बत हो जाये,
करोगी मोहब्बत तो चेहरे पर उदासी छाएगी
जो छाएगी उदासी तो तुझे नींद ना आएगी
नींद न आएगी तो चेहरे पर असर आएगा
चेहरे पर असर आएगा तो तू नजरे चुरायेगा
फिर जाने कब तलक हमसे मिलने ना आयेगा
तू मिलने न आये हमसे ऐसी नोबत ही क्यों आये
हम चाहते ही नही मोहब्बत हो जाये
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