मोहब्बत को बुरा क्यों कहूँ जब किस्मत ही मेरी ख़राब है - Rahul Jain की 30 बेहतरीन शायरी

मोहब्बत को बुरा क्यों कहूँ जब किस्मत ही मेरी ख़राब है - Rahul Jain  की 30  बेहतरीन शायरी

Rahul jain shayari 
Rahul jain 
Rahul jain best shayari 
                                                                            
Best of Rahul Jain

एक दफा जो गलती करदो,
फिर वही गलती मत करना...

क्या कहा! मोहब्बत...
ये तो गलती से भी मत करना


मेरे साथ तुम रहोगी तो
सारी बलाए टल जाएंगी

मेरे साथ तुम रहोगी तो
सारी बलाए टल जाएंगी

तुझे छूना तो चाहता हूं लेकिन
डर है उंगलियां जल जाएंगी.


जो कभी आँखे चूमती थी मुझे सुलाने के लिए......
उसने ज्यादा देर नही की इन्हे रुलाने के लिए....

कोई तो बताये मेने गुनाह क्या किया
अब शराब पीनी पड़ती है उसे भुलाने के लिए.


रहम खा मुझपे अब और ना बदनाम कर 
लोग कपड़े उतारना जानते है मोहब्बत के नाम पर


सर से लेकर पैर तक
पूरा बदन काँप रहा था
जब खबर मिली तेरे साथ
राते कोई दूसरा काट रहा था


आसमान में आज ये कैसा धुंआ हैं 
शायद किसी ने ठंडे हाथ से उसके बदन को छुआ है। ... 

मुझे डर है कि तेरी तबियत को कुछ हुआ है


मेरा मेरी सोच से झगड़ा हुआ है 
मेरी सोच ने उसे अभी तक पकड़ा हुआ है

मैं भगवान को पूजता हूँ और
अल्लाह को भी मानता हूँ

फिर भी लोग कहते है
लड़का बिगड़ा हुआ है


ज़िंदगी में मोहब्बत ही सब कुछ नहीं होती 
क्यूंकि सिर्फ मोहब्बत में कामयाब होना कामयाबी नहीं होती 

और जो तुम्हे कामयाब बना सके ऐसी मोहब्बत करना
क्योंकि कामयाबी देख कर की गयी मोहब्बत कभी मोहब्बत नहीं होती...


क्या सचमुच छोड़ गयी वो मुझे
बस इतना बता दो अगर ऐसा है तो 
कोई आकर मेरा गला दबा दो

यह तो तुझसे जुदा होकर 
पानी भी गले से उतरता नहीं
लेकिन अगर तुम सरब ले आये हो पिला दो


परिंदे कितना भी ऊंचा उड़े आसमान के नीचे रहते हैं
परिंदे कितना भी ऊंचा उड़े आसमान के नीचे रहते हैं

और जो लोग ज्यादा औकात औकात करते हैं 
ऐसी औकात वाले मेरे नीचे रहते हैं


ऐसी गर्मी है बहार की कुछ ठण्डा पिलाइये
अगर आप पानी पिला रहे है इसमें पहले शराब मिलाइये


मैं जैसा हूँ नहीं वैसा बताया गया है 
मैं पागल था नहीं बनाया गया हूँ


ताउम्र... 
तेरी फरियाद करूँ... 
ऐसा में नहीं मानता...
 कल जब पूछा... 
किसी ने तेरे बारे में... 
कह दिया... 
इसे मैं नहीं जानता...! 


कुछ लोग पूछ रहे है
 कौन दिलजला है यहाँ,
ये धुआँ कहा से उठा,

क्या बताऊँ तेरी याद में 
फिर सिगरेट जला ली हमने।


जिसकी याद में रोता रहा
वो रोता देख कर भी चला गया

एक बूँद बारिश की गुज़ारिश है मुझे
कोई सारा शहर भिगो के चला गया


ख़ामोशी में भी मुझे तुम सुनाई देते हो,
आँखें बन्द करता हूँ तुम दिखाई देते हो,


खैर तुम्हे कहा समझ आएगा मतलब इसका
तुम तो हर रोज़ नये आशिक के साथ दिखाई देते हो


 मोहब्बत के नशे में झूठे ख्वाब दिखा गई 
मै क्या बताऊं कैसी थी उसकी अदायें 
कम्बख्त पानी में आग लगा गई


जिसका हाथ थाम लिया है तुमने 
मै देखता हु ये कहा तक साथ जायेगा 

और फिर टूट कर मोहब्बत नहीं करना चाहता हूँ मैं
क्या पता कौन कब अपनी औकात दिखा जायेगा


उसको रोकना मत कोई इंसान रोकने से कहाँ रुकता है
खुदा के बाद सिर्फ मेरा मन बाप के आगे सर झुकता है

ऐसी आदत पड़ी है मुझे तन्हा रहने की 
हवा भी चलती है तो शोर कानो में चुभता हैं


शायद काफिर हो गया हूं, 
गीता, कुरान की बातें सच्ची नहीं लगती, 

और वो जो अब वफा वफा चिल्ला रही है, 
उससे कहो कि उसके मुंह से वफ़ा की बातें अच्छी नहीं लगती!


मोहब्बत के नशे में झूठे ख्वाब दिखा गई 
मै क्या बताऊं कैसी थी उसकी अदायें 
कम्बख्त पानी में आग लगा गई


मैने तुफानो में दिए जलते देखे है। 
मैने बिन माँ-बाप के बच्चे पलते देखे है


हाँ मैं अकड़ दिखाता हूँ 
क्योंकि 
मैं उसके काबिल हूँ


हमेशा मैं ही तुझे याद करू, ऐसा कब तक ज़ारी रहेगा ।
उससे कल बात हुई थी, सर कुछ दिन तक भारी रहेगा ।


लगता है कुछ भी नहीं बचा मेरे हाथ मे ।
फ़क़त एक ही साल गुज़ारा था तेरे साथ मे ।


 हम बहुत गिरे लेकिन 
गिरकर सँभालने लगे हैं 

जरा से मशहूर क्या हुए 
मेरे अपने मुझसे जलने लगे हैं

और मुझे उम्मीद नहीं थी 
उनसे इस तरह की लेकिन 

अब मुझे भी लगता है की 
मेरी आस्तीन में कुछ साँप 
पलने लगे है


तेरी शायरी में इश्क भी है
 और मौहबब्त भी है...!!

तभी तो हम कभी महकते भी हैं 
और कभी बहकते भी है...!!!!

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